केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में "बढ़ते अजगरों की संख्या' खींच रही पर्यटकों का ध्यान, कहीं धूप सेंकते तो कहीं पेड़ पर लिपटे आते हैं नजर -

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में "बढ़ते अजगरों की संख्या' खींच रही पर्यटकों का ध्यान, कहीं धूप सेंकते तो कहीं पेड़ पर लिपटे आते हैं नजर - 
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगरों की संख्या में इजाफा हुआ है. इससे घना जैव विविधता का अद्भुत उदाहरण बन गया है.
केवलादेव में बढ़ी अजगर की संख्या 

भरतपुर : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान इन दिनों अजगरों की बढ़ती संख्या के कारण खासा सुर्खियों में है. यह उद्यान सैकड़ों अजगरों का गढ़ बन चुका है, जो यहां की जैव विविधता का नया चेहरा पेश करता है. पेड़ों पर लिपटे, धूप सेंकते या सड़क पार करते इन विशाल सर्पों का दीदार पर्यटकों के लिए किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं है. इस अद्भुत नजारे ने न केवल सैलानियों को आकर्षित किया है, बल्कि वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है. रोमांच और रहस्य से भरे इस जंगल ने जैव विविधता का एक अनोखा उदाहरण पेश किया है.इंडियन रॉक पायथन की सबसे बड़ी आबादी :उद्यान में सेवा दे चुके सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार खान के अनुसार यहां सबसे अधिक संख्या में इंडियन रॉक पायथन पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध सर्प विशेषज्ञ एस. भूपति के अध्ययन के दौरान केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 150 अजगरों की उपस्थिति दर्ज की गई थी. यह अध्ययन उस समय उद्यान के 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया गया था. अब अनुमान लगाया जा रहा है कि इनकी संख्या सैकड़ों तक पहुंच चुकी है. इतना ही नहीं देश के किसी अन्य हिस्से में इतने छोटे क्षेत्र में अजगरों की इतनी बड़ी आबादी नहीं पाई जाती.

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