क्या है सिंधु जल संधि?


सस्पेंड हुई सिंधु जल संधि: दक्षिण एशिया में पानी पर बढ़ता तनाव


 क्या अब शांति की नदी भी बन गई राजनीति का मोहरा?

सिंधु जल संधि एक ऐसा समझौता था, जिसने दशकों तक भारत और पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर संतुलन बनाए रखा। लेकिन अब इसके सस्पेंड होने की ख़बरों ने सभी को चौंका दिया है। आखिर ऐसा क्यों हुआ, और आगे क्या होगा? जानिए 


क्या है सिंधु जल संधि?

  • यह संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच, विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी।इसमें छह नदियों को दो हिस्सों में बाँटा गया था:

    • पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) — पाकिस्तान को

    • पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलज) — भारत को

 इस समझौते ने दोनों देशों को पानी का समान उपयोग सुनिश्चित किया, जिससे 60 सालों तक शांति बनी रही।


अब क्यों हो रहा है संधि का सस्पेंशन?

  • भारत का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है और संधि की भावना को तोड़ रहा है।पाकिस्तान आरोप लगाता है कि भारत नदियों पर गैर-कानूनी परियोजनाएँ चला रहा है।हाल ही में भारत ने संधि की समीक्षा और पुनर्विचार की बात की है, जो इसे सस्पेंड करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।


⚠️ इस सस्पेंशन का क्या असर पड़ेगा?

1. पाकिस्तान पर बड़ा संकट

पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु प्रणाली पर आधारित है। यदि भारत पानी रोके तो:

  • फसलें बर्बाद हो सकती हैं ,पानी की किल्लत हो सकती है ,आर्थिक संकट गहरा सकता है

🌍 2. क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव

  • दोनों देश परमाणु शक्ति से लैस हैं।पानी जैसे मुद्दे से यदि तनाव बढ़ा, तो युद्ध की स्थिति भी बन सकती है।

🌿 3. पर्यावरणीय खतरे

  • नदियों की दिशा बदलना या जल रोकना, प्राकृतिक असंतुलन पैदा कर सकता है।इससे बाढ़, सूखा, और इकोसिस्टम को भारी नुकसान हो सकता है।


🌐 दुनिया क्या कह रही है?

  • विश्व बैंक इस स्थिति पर नजर रखे हुए है।

  • संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएं दोनों देशों से संवेदनशीलता और सहयोग की अपील कर रही हैं।

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